Sunday, 20 September 2015

कल रात करीब ३ बजे नींद खुली ,बहुत तेज़ बारिश हो रही थी, कमरे की खिड़की से बारिश की बूंदें के छींटे चेहरे पर आ रहे थे पर बारिश के शोर मैं कही किसी के रोने की आवाज़ भी थी शायद ,थकान ने इतना बदहवास कर दिया था की खिड़की बंद करके फिर सो गया, सुबह जब दूध वाले ने दरवाज़ा ठक ठकाया तो नींंद खुली ,दूध लिया और फिर वो आवाज़ ज़हन मैं आयी,खिड़की से बहार झाँका सामने वाली बिल्डिंग की नीचे एक अर्थी रखी थी और कुछ लोग खड़े थे कोई गुज़र गया था ,मैं उन लोगो मैं किसी को नहीं जनता था पर एक छोटी बच्ची जो वहा खड़े रो रही थी उसे देखा था मैंने कही
वो बच्ची वही थी जिसके कुछ दिन पहले उसके दादा के साथ society ground पर कुछ तस्वीरें खींची थी और कहा था सामने वाली बिल्डिंग मैं ही रहता हु कुछ दिनों मैं देता हु तस्वीरें ,जिनकी मृत्यु हुई वो उस बच्ची क़े दादा जी ही थे ,वो तस्वीरें अभी भी है मेरे कैमरे मैं ,
दिमाग से सोचता हु तो लगता है delete कर दू ,पर दिल लगाव रखता है उन तसवीरों से
क्या करू समझ नहीं आता ? ‪#‎Mumbai_Diaries‬

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